हम रहें या ना, याद रहें हम
वक्त से मिला, यह हमें सबक,
हम रहेें या ना, याद रहें हम।
वक्त की कलम से, मन के भाव को,
कागज पर लेकर, उतार दें हम।
हम रहेें या ना, याद रहेें हम।।
जीवन के मुकाम पर, पहुंचकर हम,
अपने पुण्य पाप का, हिसाब रखें हम ।
हम रहेें या ना, याद रहें हम।
हो अपने पर गुरुर, जो मेहनत का खाएं हम,
हम रहेें या ना, याद रहें हम।।
दीन दुखी जो, राह में आए गर,
उन्हें खुले हाथ से, देते चलें हम।
हम रहें या ना ,याद रहें हम।।
--गीता सिंह
उत्तर प्रदेश
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