हौसलों की उड़ान
"अरे मुन्नी ,तूने अपने लायक कचरा तो बीन लिया, अब और कितना बीनेगी"
"मुझे अनाथ आश्रम खोलना है ना अम्मा, इसीलिए और बीन रही हूँ ।" मुन्नी ने कचरा उठाते -उठाते अम्मा से कहा।
"हैं .....वित्ते भर की छोकरी, गज भर की जबान.... अरे तू तो खुद ही अनाथ है, कैसे खोलेगी अनाथ आश्रम??"
"इसीलिए तो अम्मा, मेरी जैसी कोई और अनाथ न रहे।"
अम्मा उसके हौसलों की उड़ान देखकर अवाक रह गई।
--गीता सिंह
उत्तर प्रदेश
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