दिल के दीप जला दे


दुख से क्या घबराना राही,
सुख से क्या हरषाना।

सुख -दुख दोनों साथी हैं,
ये भी तू जान ले प्यारे।

मन का वहम निकाल दे प्यारे
मन का वहम निकाल दे....

राहों में जब कंकड़ आये ,,
असफलता के बादल छाए,

हिम्मत कर आगे बढ़ले प्यारे
हिम्मत कर आगे बढ़ ले.....

रात के बाद सवेरा होता,
दुख के बाद खुशी ही आती,

यह तो आज जान ले प्यारे
यह तो आज जान ले.....

रो-रो कर आंसू है थकते,
दुख में कोई साथी नहीं बनते,

दिल के दीप जला दे प्यारे
दिल के दीप जला दे....

--गीता सिंह 

 खुर्जा,  उत्तर प्रदेश 

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