गांधीजी के तीन बंदर
गांधीजी के तीन बंदर।
सत्य पथ पर चलना सिखलाते ।
पहला कहता ,बुरा न देखो।
बुरा दिखा तो ,क्रोध बढ़ेगा।
क्रोध से ,हिंसा पनप उठेगी।
इसीलिए वे शांति मार्ग अपनाते।।
गांधीजी के तीन बंदर।
सत्य पथ पर चलना सिखलाते ।
दूजा कहता ,बुरा न सुनो।
बुरा सुनोगे ,मन भटके गा।
गलत दिशा में ले जाएगा।
इसीलिए वे कर्म योग अपनाते।।
गांधीजी के तीन बंदर।
सत्य पथ पर चलना सिखलाते ।
तीसरा कहता ,बुरा न बोलो।
बुरा बोल कर ,कर्म घटेगा।
कुकर्म करते, तुम बिखरोगे
इसीलिए वे परोपकार अपनाते।।
गांधीजी के तीन बंदर।
सत्य पथ पर चलना सिखलाते।।
बापू, कुछ समय और ठहर जाते।
यूं, न अचानक चले जाते।
हमको मुश्किलों से लड़ना सिखाते।
अश्रुपूर्ण आंखें राह देखती ,बापू
कभी तो ,स्वप्न में ही चले आते।।
सत्य पथ पर चलना सिखलाते।।
--गीता सिंह
खुर्जा, उत्तर प्रदेश
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