मेरे जीवन साथी
मेरे जीवनसाथी, हम
जैसे दीया और बाती।
एक सहारा देता उसको,
एक उजाला करता।
एक दूजे के दोनों पूरक,
कोई अकेला खुश न रहता।
कभी प्रेम, कभी नोकझोंक
हर पल होती रहती।
मेरे जीवन साथी, हम
जैसे दीया और बाती
वह रूठे तो उसे मनाऊं
मैं रूठी तो वही मनाए।
घर परिवार को ऐसे चलाते
जैसे हो सुंदर उद्यान ।
फूल -फूल बगिया में महके
देखते बनकर दोनों माली।
मेरे जीवन साथी , हम
जैसे दीया और बाती।।
स्वरचित, मौलिक
गीता सिंह
खुर्जा उत्तर प्रदेश
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