नारी

विषय -नारी (गजल)
*उम्र के हर दौर में मकसद बनाया करती है*

 नारी तू नारी है, क्यूँ गर्व नहीं करती है
उम्र के हर दौर में मकसद बनाया करती है

तेरे हाथों की लकीरों में बसी है दुनिया
तेरे हर रूप पर कुदरत भी नाज करती है

तेरी मासूमियत पर लोग फिदा होते हैं
पर तेरे हाल मजबूर निगाहें बयां करती है

तू नदिया है झील ना बन जाना कभी
तेरी हिम्मत जो हौसले बुलंद करती है

न बनना कभी कमजोर कैदियों सी तू
तू आसमां में पंछी सी चहका करती है

नाम रोशन किया तूने दो कुटुम्बो का
 तेरी खुशबू से फिजाएं भी महका करती है 

सच बताना आपको कैसी लगी ये मेरी गजल
दिल से दिल में पहुँचे, गीता ये दुआ करती है।।

गीता सिंह

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